Tuesday 24 April 2012

शक्तियों का साक्षात चमत्कार


धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि कलियुग में शक्तियों का साक्षात चमत्कार देखने को मिलता है। किसी भी जातक ने थोड़ी सी भी पूजा-अर्चना कर ली उसे तुरंत लाभ मिलता है। अगर आप भी किसी भी समस्या से घिरे हैं और तत्काल निदान चाहते हैं तो शक्तियों का अद्भुत चमत्कार अनुभव कर सकते हैं। अगर आपको बाकई ढोंगी तांत्रिकों, बाबाओं, जादू-टोना वालों से बेहद तंग और परेशान हो चुके हैं तो सच्ची शक्तियों की कृपा प्राप्त कर अपनी उलझी हुई समस्याओं का निदान प्राप्त कर जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। एक बार आपने शक्तियों की विशेष कृपा प्राप्त कर ली तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा। हर जातक के जीवन में अनेकानेक समस्याएं आती रहती हैं उन से वह कुछ समय के लिए छुटकारा तो पा लेता है लेकिन कई समस्याएं ऐसी हैं जो जिंदगी भर जातक इनसे छुटकारा नहीं पा सकता। रोजाना का पारिवारिक कलह, पति-पत्नी में मन-मुटाव, आसपास के पड़ोसियों की द्वेष भावना, ऊपरी हवा का चक्कर, जमीन-जायदाद, कोर्ट-कचहरी, प्रेम में विफलता, तलाक की नौबत, धन की बेहद तंगी, बेरोजगार, सास-बहू में अनबन, किसी भी काम में मन नहीं लगना, बीमारियों का पीछा नहीं छूटना, शत्रुता जैसी समस्याएं हर जातक को घेरे रहती हैं। अगर आप इन सभी का सटीक निदान चाहते हैं तो एक बार जरूर संपर्क करें।

- पंडित राज
चैतन्य भविष्य जिज्ञासा शोध संस्थान
एमआईजी-3/23, सुख सागर, फेस-2
नरेला शंकरी, भोपाल -462023 (मप्र), भारत
मोबाइल : +91-9302207955
ईमेल :panditraj259@gmail.com

Wednesday 8 February 2012

जीवन से निराश न हों, उपाय करें




हर जातक जीवन में प्रयास करता है कि हमें यश, वैभव, कीर्ति, धन संपदा व वो सारी खुशियां मिलें जो हम चाहते हैं, लेकिन जब दुर्भाग्य साथ लगा होता है तो जातक परेशान व चारों ओर संकट से घिर जाता है। ऐसे में उसे कोई उपाय नहीं सूझता कि आखिर हम क्या करें जिससे सब कुछ अच्छा हो जाए। समाज में मान-प्रतिष्ठा मिले, परिवार में शांति अमन-चैन रहे और धन-संपदा की कभी कमी न होकर किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। अगर नीचे लिखी समस्याएं आपके साथ हैं तो हम आपको बेहतरीन एक उपाय बताएं जिससे आप सुख व शांति से समय व्यतीत कर अपने जीवन का हर लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।

ये हैं आपकी समस्याएं-
- क्या आप अपने जीवन से तंग आ चुके हैं?
- क्या आप धन की कमी से परेशान हैं?
- क्या आप पारिवारिक कलह से झुंझलाहट व क्रोध में रहते हैं।
- आप बच्चों की शादी से संकट में हैं?
- क्या आप कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाकर थक चुके हैं?
- क्या आपके ऊपर या परिजनों पर बुरी नजर लगी है?
- क्या आप हमेशा भाग्य को दोष देते रहते हैं?
- क्या आपका व्यापार-धंधा, उद्योग ठप है?
- क्या आपको नौकरी में प्रमोशन नहीं मिल रहा?
- क्या आप किसी को अपने वश में करना चाहते हैं?
- क्या आपकी जमीन, जायदाद जबरन हड़प ली है?
- क्या आप कोई नई नौकरी की तलाश में हैं?
- क्या आप एक अच्छा इंसान बनना चाहते हैं?
- क्या आपको मकान बनवाने में कई अड़चनें आ रही हैं?
- क्या आप अपनी धर्मपत्नी से परेशान हैं?
- क्या आप अपने पति की बुरी आदतें सुधारना चाहती हैं?
- क्या आपका बच्चा/बच्ची गुम हो गया है और सब प्रयासों
के बावजूद वह नहीं मिल रहा है।
- क्या आप लव-मैरिज करना चाहते हैं?
- क्या आप अपनी सास को सुधारना चाहती हैं?
- क्या आपका कहना आपके बच्चे नहीं मानते?
- क्या आप अपने बच्चों को परीक्षा में अच्छे नंबर दिलाना चाहते हैं?
- क्या आप बार-बार दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं?
- क्या आपके घर में बार-बार दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं?

एक उपाय जो बदल देगी आपकी किस्मत


हर धार्मिक ग्रंथ में एक ही उपाय बताया गया है कि कर्म करो, फल की इच्छा मत करो। ईश्वर सब जानता है। लेकिन जब दुर्भाग्य साथ जुड़ जाता है तो जातक कुछ नहीं कर पाता। कई वर्षों के शोध एवं अनुसंधान से हमारे संस्थान ने एक उच्चकोटि का तंत्र (ताबीज) स्वर्णभस्म, पारा एवं 18 अन्य बहुमूल्य चीजों से निर्मित किया है। यह तंत्र (ताबीज) प्राण-प्रतिष्ठित किया हुआ है, जिसका प्रभाव जिंदगी भर रहता है। इसके गले में धारण करने से आपका दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदल जाएगा। इसके धारण करते ही आप इसका प्रभाव स्वयं देख सकते हैं। यंत्र की न्यौछावर मात्र 501 रुपये (सामान्य) एवं 1100 रुपये (स्पेशल) है।
नोट - तंत्र (ताबीज) पहनकर किसी के निधन, उठावनी, क्रियाक्रम संस्कार में नहीं जाना है, न ही शवयात्रा के पास से गुजरना है।


चैतन्य भविष्य जिज्ञासा शोध संस्थान
एमआईजी-3/23, सुख सागर फेस-2
नरेला शंकरी, भोपाल- 462023 (मप्र)
ईमेल : panditraj259@gmail.com
मोबाइल नं. + 91-9302207955

Monday 21 November 2011

शिवलिंग पूजा का महत्व



श्री शिवमहापुराण के सृष्टिखंड अध्याय १२श्लोक ८२से८६ में ब्रह्मा जी के पुत्र सनत्कुमार जी वेदव्यास जी को उपदेश देते हुए कहते है कि हर गृहस्थ को देहधारी सद्गुरू से दीक्षा लेकर पंचदेवों (श्री गणेश,सूर्य,विष्णु,दुर्गा,शंकर) की प्रतिमाओं में नित्य पूजन करना चाहिए क्योंकि शिव ही सबके मूल है, मूल (शिव)को सींचने से सभी देवता तृत्प हो जाते है परन्तु सभी देवताओं को तृप्त करने पर भी प्रभू शिव की तृप्ति नहीं होती। यह रहस्य देहधारी सद्गुरू से दीक्षित व्यक्ति ही जानते है।
सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु ने एक बार ,सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के साथ निर्गुण-निराकार- अजन्मा ब्रह्म(शिव)से प्रार्थना की, "प्रभों! आप कैसे प्रसन्न होते है।"

प्रभु शिव बोले,"मुझे प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग का पूजन करो। जब जब किसी प्रकार का संकट या दु:ख हो तो शिवलिंग का पूजन करने से समस्त दु:खों का नाश हो जाता है।(प्रमाण श्री शिवमहापुराण सृष्टिखंड अध्याय श्लोक से पृष्ठ )

(२) जब देवर्षि नारद ने श्री विष्णु को शाप दिया और बाद में पश्चाताप किया तब श्री विष्णु ने नारदजी को पश्चाताप के लिए शिवलिंग का पूजन, शिवभक्तों का सत्कार, नित्य शिवशत नाम का जाप आदि क्रियाएं बतलाई।(प्रमाण श्री शिवमहापुराण सृष्टिखंड अध्याय श्लोक से पृष्ठ )

(३) एक बार सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी देवताओं को लेकर क्षीर सागर में श्री विष्णु के पास परम तत्व जानने के लिए पहुॅचे । श्री विष्णु ने सभी को शिवलिंग की पूजा करने की आज्ञा दी और विश्वकर्मा को बुलाकर देवताओं के अनुसार अलग-अलग द्रव्य के शिवलिंग बनाकर देने की आज्ञा दी और पूजा विधि भी समझाई।(प्रमाण श्री शिवमहापुराण सृष्टिखंड अध्याय १२ )

(४) रूद्रावतार हनुमान जी ने राजाओं से कहा कि श्री शिवजी की पूजा से बढ़कर और कोई तत्व नहीं है। हनुमान जी ने एक श्रीकर नामक गोप बालक को शिव-पूजा की दीक्षा दी। (प्रमाण श्री शिवमहापुराण कोटीरूद्र संहिता अध्याय १७ ) अत: हनुमान जी के भक्तों को भी भगवान शिव की प्रथम पूजा करनी चाहिए।

(५) ब्रह्मा जी अपने पुत्र देवर्षि नारद को शिवलिंग की पूजा की महिमा का उपदेश देते है। देवर्षि नारद के प्रश्न और ब्रह्मा जी के उत्तर पर ही श्री शिव महापुराण की रचना हुई है। पार्वती जगदम्बा के अत्यन्त आग्रह से, जनकल्याण के लिए, निर्गुण निराकार अजन्मा ब्रह्म (शिव) ने सौ करोड़ श्लोकों में श्री शिवमहापुराण की रचना की। चारों वेद और अन्य सभी पुराण, श्री शिवमहापुराण की तुलना में नहीं आ सकते। प्रभू शिव की आज्ञा से विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने श्री शिवमहापुराण को २४६७२ श्लोकों में संक्षिप्त किया है। ग्रन्थ विक्रेताओं के पास कई प्रकार के शिवपुराण उपलब्ध है परन्तु वे मान्य नहीं है केवल २४६७२ श्लोकों वाला श्री शिवमहापुराण ही मान्य है। यह ग्रन्थ मूलत: देववाणी संस्कृत में है और कुछ प्राचीन मुद्रणालयों ने इसे हिन्दी, गुजराती भाषा में अनुदित किया है। श्लोक संख्या देखकर और हर वाक्य के पश्चात् श्लोक क्रमांक जॉंचकर ही इसे क्रय करें। जो व्यक्ति देहधारी सद्गुरू से दीक्षा लेकर , एक बार गुरूमुख से श्री शिवमहापुराण श्रवण कर फिर नित्य संकल्प करके (संकल्प में अपना गोत्र,नाम, समस्याएं और कामनायें बोलकर)नित्य श्वेत ऊनी आसन पर उत्तर की ओर मुखकर के श्री शिवमहापुराण का पूजन करके दण्डवत प्रणाम करता है और मर्यादा-पूर्वक पाठ करता है, उसे इस प्रकार सम्पूर्ण २४६७२ श्लोकों वाले श्री शिवमहापुराण का बोलते हुए सात बार पाढ करने से भगवान शंकर का दर्शन हो जाता है। पाठ करते समय स्थिर आसन हो, एकाग्र मन हो, प्रसन्न मुद्रा हो, अध्याय पढते समय किसी से वार्ता नहीं करें, किसी को प्रणाम नहीं करे और अध्याय का पूरा पाठ किए बिना बीच में उठे नहीं। श्री शिवमहापुराण पढते समय जो ज्ञान प्राप्त हुआ उसे व्यवहार में लावें।श्री शिव महापुराण एक गोपनीय ग्रन्थ है। जिसका पठन (परीक्षा लेकर) सात्विक, निष्कपटी, प्रभू शिव में श्रद्धा रखने वालों को ही सुनाना चाहिए।

(६) जब पाण्ड़व लोग वनवास में थे , तब भी कपटी, दुर्योधन , पाण्ड़वों को कष्ट देता था।(दुर्वासा ऋषि को भेजकर तथा मूक नामक राक्षस को भेजकर) तब पाण्ड़वों ने श्री कृष्ण से दुर्योधन के दुर्व्यवहार के लिए कहा और उससे राहत पाने का उपाय पूछा। तब श्री कृष्ण ने उन सभी को प्रभू शिव की पूजा के लिए सलाह दी और कहा "मैंने सभी मनोरथों को प्राप्त करने के लिए प्रभू शिव की पूजा की है और आज भी कर रहा हॅूॅ।तुम लोग भी करो।" वेदव्यासजी ने भी पाण्ड़वों को भगवान् शिव की पूजा का उपदेश दिया। हिमालय में, काशी में,उज्जैन में, नर्मदा-तट पर या विश्व में कहीं भी चले जायें, प्रत्येक स्थान पर सबसे सनातन शिवलिंग की पूजा ही है। मक्का मदीना में एवं रोम के कैथोलिक चर्च में भी शिवलिंग स्थापित है परन्तु सही देहधारी सद्गुरू से दीक्षा न लेकर ,सही पूजा न करने से ही हमें सांसारिक सभी सुख प्राप्त नहीं हो रहे है।

श्री शिवमहापुराण सृष्टिखंड अध्याय ११ श्लोक १२से १५ में श्री शिव-पूजा से प्राप्त होने वाले सुखों का वर्णन निम्न प्रकार से है:- दरिद्रता, रोग सम्बन्धी कष्ट, शत्रु द्वारा होने वाली पीड़ा एवं चारों प्रकार का पाप तभी तक कष्ट देता है, जब तक प्रभू शिव की पूजा नहीं की जाती। महादेव का पूजन कर लेने पर सभी प्रकार का दु:ख नष्ट हो जाता है, सभी प्रकार के सुख प्राप्त हो जाते है और अन्त में मुक्ति लाभ होता है। जो मनुष्य जीवन पाकर उसके मुख्य सुख संतान को प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें सब सुखों को देने वाले महादेव की पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र विद्यिवत शिवजी का पूजन करें। इससे सभी मनोकामनाएं सिद्द्ध हो जाती है।(प्रमाण श्री शिवमहापुराण सृष्टिखंड अध्याय ११श्लोक१२ से १५)